गर्मी के मौसम की शुरूवात हो गई है और इस मौसम में पेड़-पौधे सूखने लगते हैं। लेकिन एक ऐसा भी पेड़ है जिसमें इस मौसम बहुत से फूल खिलते हैं। आयुर्वेद में इन टेसू के फूल को काफी लाभकारी माना जाता है।

होली में इसी फूल से रंग तैयार किया जाता है, खासतौर पर इन फूलों से तैयार रंगो का इस्तेमाल वृंदावन में होली के समय किया जाता है। प्राकृतिक होने की वजह से आपको इसके रंगों से कोई परेशानी भी नहीं होती है।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पुराने समय में लोग टेसू के फूलों से ही रंगों को बनाकर होली खेला करते थे। टेसू के फूलों से बने प्राकृतिक रंग स्किन के लिए काफी फायदेमंद होते हैं।

इनका उपयोग करने से आपके चेहरे की चमक बढ़ जाती है, इसके अलावा त्वचा से जुड़ी अन्य बीमारियों से भी छुटकारा मिल जाता है। आपको ये टेसू के फूल पहाड़ी क्षेत्र या सड़क किनारे में आसानी से मिल जाते हैं.

फाल्गुन में ही होते हैं फूल
एक आयुर्वेद विशेषज्ञ ने बताया कि टेसू के पेड़ को निमाड़ में खाखरा और पलाश भी कहा जाता है। फाल्गुन के महीने में ही ये टेसू के फूल खिलते हैं और इनको प्रकृति का संदेश माना जाता है।

कैसे बनाया जाता है रंग
टेसू के फूलों से रंग बनाने के लिए सबसे पहले आपको इसके फूलों को तोड़मा होगा, फिर उनको छांव में सुखा लें। जब ये फूल पूरी तरह से सूख जाएं तो फिर फूलों को पानी में घोल लें। इसके बाद आप इसको नार्मल रंगों की तरह होली में इस्तेमाल कर सकते हैं।

बीमारियों के लिए लाभकारी
आपको बता दें कि आयुर्वेद में टेसू को एक औषधीय पौधा माना जाता है। रंग बनाने के अलावा आप इससे स्किन से जुड़ी समस्याओं का इलाज भी कर सकते हैं। डायबिटीज पेशेंट्स को टेसू के फूलों को सुखाकर पाउडर के रूप में इसका सेवन करने से काफी फायदा मिलेगा।