आपको बता दें की बिहार राज्य के अंतर्गत आने वाले छपरा की महाराजगंज सीट प्रभुनाथ सिंह के प्रभाव वाली सीट मानी जाती है। प्रभुनाथ सिंह आरजेडी से पूर्व सांसद भी रहें हैं। असल बात यह है कि इस सीट को अब गठबंधन ने कांग्रेस को दे दिया है। अतः प्रभुनाथ सिंह के जेल जाने के बाद अब उनके पुत्र रणधीर सिंह इस सीट के लिए संघर्ष कर रहें हैं। रणधीर सिंह ने इस सीट को लेकर बागी तेवर दिखाए हैं तथा अपने कार्यकर्ताओं के साथ में बैठक की है।

इसके अलावा उन्होंने चुनाव लड़ने की संभावनाओं पर बात करने के लिए 28 अप्रैल को भी एक मीटिंग बुलाई है। रणधीर सिंह ने आरजेडी पर सीधे सीधे धोखा देने का आरोप भी लगाया है। उनका कहना है की शुरू से ही उनके पिता तथा उनका परिवार आरजेडी को समर्पित रहा है लेकिन अब इस सीट को कांग्रेस को देना उनके साथ धोखा देने जैसा है। अब 28 अप्रैल को यह फैसला होगा की क्या रणधीर सिंह महाराजगंज सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे अथवा नहीं।

रणधीर सिंह हुए खफा

आपको जानकारी दे दें की रणधीर सिंह को राजद से टिकट न मिलने पर उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं के साथ में अपने आवास पर बैठक की थी। असल में इस सीट को गठबंधन ने कांग्रेस की झोली में डाल दिया है और इसी कारण अब रणधीर सिंह काफी खफा नजर आ रहें हैं।

अब रणधीर सिंह ने 28 अप्रैल को महाराजगंज संसदीय क्षेत्र के सभी 14 प्रखंड के कार्यकर्ताओं की एक बैठक करने का निर्णय किया है ताकी आगामी चुनाव को लेकर कोई न कोई निर्णय सर्व सम्मति से लिया जा सके। कार्यकर्ताओं ने भी रणधीर सिंह को बेटिकट करना एक साजिश बताया है।

रणधीर सिंह ने कहा

रणधीर सिंह ने अपने आवास पर की गई बैठक में कहा है कि मेरे पिता सहित पूरा परिवार राजद के लिए समर्पित रहा है। बावजूद इसके अंतिम क्षणों में महाराजगंज सीट को कांग्रेस की झोली में डाल दिया गया है।

हम सभी दलों से ऊपर उठकर क्षेत्र के विकास तथा कार्यकर्ताओं के लिए चुनाव लड़ते आ रहें हैं। इस बैठक को मुख्य रूप से पूर्व रणधीर सिंह के चाचा विधायक केदारनाथ सिंह, पूर्व मुखिया छोटे प्रसाद सिंह, शिक्षक नेता समरेंद्र बहादुर सिंह, रामजीवन सिंह जीवन, पूर्व प्रमुख राजकुमार राय आदि ने संबोधित किया था।