Famous Singers Come To Gwalior To Eat The Leaves Of The Tamarind: तानसेन के बारे में तो आप सब को पता होगा. ऐसे में इस साल 99वां तानसेन समारोह आयोजित होने वाला है. इस चीज़ को लेकर जिला प्रशासन ने अपनी तैयारियां पूरी कर ली हैं. अब जब तानसेन समारोह सामने आ रही है कि समारोह के साथ ही एक बार फिर से 600 साल पुराने इमली के पेड़ की चर्चा शुरू हो गई है. जी हाँ इसको लेकर ये काफी चर्चा है. इसी के वजह से आपको संगीत कलाकारों के बीच दीवानगी भी देखी जा रही है. कहते है संगीतकारों के लिए यह इमली का पेड़ बहुत ही बहुमूल्य होगा और इस इमली के पेड़ की पत्तियां खाने के लिए देश-विदेश के संगीतकार तानसेन की नगरी ग्वालियर में खिंचे चले आते थे. आपको जानकर हैरानी होगी कि तानसेन को इस इमली के पत्तों ने संगीत सम्राट बना दिया था.

वहां पर रहने वाले लोग इस बात को जानते है कि ग्वालियर ही वो जगह था जहाँ पर तानसेन का जन्म हुआ था.तानसेन जब 5 साल की उम्र थे तो उन्हें कठिनाई होने लगी थी. इसी बात को लेकर तानसेन के माता-पिता परेशान होने वाला है. इसी के बाद उनके पेरेंट्स ने उन्हें सलाह दी है कि वह उस्ताद मोहम्मद गौस के पास तानसेन को ले जाएं तो हो सकता है कि उनकी समस्या ठीक हो जाएगी. दरअसल उस्ताद मोहम्मद गौस ने इसी इमली के पेड़ की पत्तियों को तानसेन को खिला दिया था. जानकारों के हिसाब से इमली के पेड़ की पत्तियां चबाने के बाद तानसेन ने न केवल बोलना शुरू कर दिया बल्कि उनकी आवाज भी बहुत मीठी हो गयी.

इमली के चारों ओर किया सुरक्षा घेरा

दरअसल संगीतकारों के बीच इमली के पेड़ की दीवानगी आज भी देखने को बनती है. अभी तक इस 600 साल पुराने इमली के पेड़ के अस्तित्व पर संकट खड़ा कर रहा था. यही कारण है कि इसे सुरक्षित और संरक्षित रखने के लिए अब पेड़ के चारों तरफ 10 फीट ऊंचाई की जाली का सुरक्षा घेरा बना दिया गया है जिसे पार करना पाना बहुत मुश्किल है.