ऩए साल 2024 में बोर्ड परीक्षाएं शुरू होने में कुछ ही समय रह गया है, ऐसे में बच्चे मन लगा कर पढ़ाई करने में लगे हुए हैं, लेकिन ऐसी स्थिति में उनके ऊपर अच्छे अंक लाने का प्रेशर भी रहता है। जिसका सीधा असर उनके मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है।

बता दें कि CBSE, CISCE, यूपी, बिहार, असम, झारखंड के अलावा कई राज्यों ने भी 10वीं और 12वीं बोर्ड परीक्षाओं की डेटशीट निकाल दी है। ऐसे में बच्चों पर प्रेशर भी बढ़ गया है। एक सर्वे के मुताबिक 10% स्कूली बच्चे मेंटल हेल्थ से जुड़ी समस्याओं से जूझ रहे हैं, और अगर वैश्विक आंकड़ो की बात करें तो 18 साल से कम उम्र के 13% बच्चों की मेंटल हेल्थ सही नहीं होती है, ऐसे में टीचर और पेरेंट्स को इस बात पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है।

एक्सपर्ट्स के अनुसार, भारत सरकार को अपनी शिक्षा नीति में कुछ बदलाव करने चाहिए, जिससे बच्चों को उनकी पढ़ाई बोझ ना लगे। पेरेंट्स और शिक्षकों को भी बच्चों पर एग्जाम में अच्छे नंबर लाने का ज्यादा प्रेशर नहीं डालना चाहिए। हालांकि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुसार बच्चों को नंबर से ज्यादा नॉलेज पर फोकस करना चाहिए।

स्कूली शिक्षा के अलावा बच्चों को कृषि शिक्षा, कानूनी शिक्षा, चिकित्सा शिक्षा और तकनीकी शिक्षा जैसी व्यावसायिक शिक्षाओं को भी पढ़ाया जाना चाहिए। इससे बच्चे पढ़ाई के साथ लाइफ स्‍क‍िल को भी सीख सकेंगे। बच्चों की मेंटल हेल्थ को ठीक करने के लिए आजकल स्कूलों में उनकी काउंसलिंग भी कराई जाती है। बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य की जिम्मेदारी स्कूल और टीचर्स के अलावा पेरेंट्स की भी होती है।

उनको घर में पढ़ाई का ऐसा वातावरण बनाना चाहिए और दूसरे बच्चों से उनका कंपेरिजन नहीं करना चाहिए।
बोर्ड एग्जाम से पहले इन बातों का रखें ध्यान कि बच्चे कॉन्फिडेंस के साथ एग्जाम की तैयारी करें। अच्छे मार्क्स पाने के लिए उनको मार्किंग स्कीम समझाएं। बच्चों को पढ़ाई के दौरान छोटे-छोटे ब्रेक लेने चाहिए, कठीन विषयों को ज्यादा समय दें, नोट्स बनाकर पढ़ें, आसान सवालों को अच्छे से तैयार कर लें।