नई दिल्ली। हमारे देश की धरती  प्राकृतिक सम्पदा की धरोहर मानी जाती है। जहां पर ऐसी कई तरह की औषधिया पाई जाती है. जो हमारी लिए एक संजीवनी जड़ी बूटी से कम नही है। इस धरती में आपको ऐसे फल, फूल और सब्जियां देखने को मिलेगें जिनके बारे में शायद आप जानते ही नही होगें। इन्हीं फलों में एक ऐसा ही फल है जिसका नाम है लसौड़ा।

प्राकृतिक औषधियों से भरपूर लसौड़ा एक पहाड़ी सबसे दुर्लभ फल है जिसे कई जगहों पर गौंदी या निसोरी के नाम से भी जाना जाता है। इस फल का साइंटिफिक नाम कोर्डिया मायक्सा है। कई तरह के औषधीय गुणों से भरपूर इस फल का उपयोग आयुर्वेद में  कई तरह के खतरनाक रोगों को दूर करने के लिए उपचार के रूप में किया जाता है।

लसोड़े का आचार 

आकार छोटा अंगूर की तरह दिखने वाला यह फल दुर्लभ फलों की श्रेणी में रखा गया है क्योकि यह सिर्फ मई और जून के महीने में ही मिलता है। सके कारण इसका उपयोग हर कोई नही कर पाता।  इस फल को कच्चा या पकाकर दोनों तरह से खा सकते हैं। जब यह लसोड़े पर जाते है तो इसके स्वाद में मीठापन आने लगता हैं।

कहां मिलता है लसोड़ा

लसोड़े की उपज ज्यादातर गुजरात, उत्तराखंड, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र  में ज्यादा होती है। जहां नमी के साथ सूखे का वातावरण पाया जाता है। लसोड़ा के फल के साथ इसकी लकड़ी मजबूत और चीकनी होने के कारण फर्नीचर बनाने के काम भी आती है। बहुत से किसान इसके पेड़ को अपने खेत की मेड पर लगाते हैं।

गुजरात में इस फल का उपयोग मैदा, घी और बेसन के लड्डू को बनाने में किया जाता बनाते हैं। यह फल हर महीने उपलब्ध नहीं होता है इसलिए लोग मई और जून के महीने में इसे तोड़कर एसका चूर्ण और अचार बनाकर सुरक्षित रख लेते है। जो साल भर चलता है।

लसोड़े की खासियत और कीमत

यह फल हमारे शरीर के रोदों को दूर करने के साथ साथ कई दूसरी चीजों में काफी उपयोगी माना गया है। गर्मियों में आने वाला यह फल तेज धूप और गर्मी से हमें ठडांहट देने का काम करता है। इसकी उपयोगिता ज्यादा होने के चलते इस फल के कीमत की भी ज्यादा है यह 150-200 रुपये प्रति किलो में मिलता है।