नई दिल्ली।  ये बात तो हम सब जानते हैं कि सरकारी कामों में कितना टाइम लगता है. भले ही ये गलती आपके तरफ से हुई हो या फिर सरकार की तरफ से हो. वैसे भी अगर कोई गलत सरकार से हो भी जाए तो सरकार मानती कहाँ है. और इसलिए सरकार से गलतियां होने पर लोग उस गलती को नजरअंदाज कर देते है. पर कुछ लोग ऐसे भी होते है जो हार नहीं मानते और अपनी हक़ की लड़ाई छोड़ना नहीं चाहते हैं. अभी हाल ही में एक ऐसा मामला सामान्य आया है जिसको जानने के बाद आपके होश उड़ जाएंगे. चलिए आपको इसके पुरे मांझरे के बारे में बताते हैं

जानिए क्या है पूरा मांझरा

आपकी जानकारी के लिए बता दे राजस्थान, कोटा के रहने वाले इंजीनियर सुरजीत स्वामी ने स्वर्ण मंदिर मेल में कोटा से दिल्ली तक का रेलवे टिकट बुक किया था. उस वक़्त एक जुलाई से ‘जीएसटी’ की नयी व्यवस्था लागू होने वाली थी. किसी वजह से सुरजीत स्वामी को टिकट कैंसिल करनी थी उन्होंने कर दी. टिकट की कीमत 765 रुपये थी और उन्हें 100 रुपये की कटौती के साथ 665 रुपये वापस मिले. लेकिन यहाँ पर सुरजीत का कहना था कि उनके 100 नहीं बल्कि 65 रुपये काटने चाहिए थे. उन्होंने रेलवे के ऊपर आरोप लगाया कि उनसे 35 रुपये की अतिरिक्त पैसे लिए गए हैं. जबकि उन्होंने जीएसटी लागू होने से पहले टिकट कैंसिल करा दिया था.

35 रुपये के लिए लड़ी 5 साल की लड़ाई

मात्र 35 रुपए के लिए इंजीनियर सुरजीत स्वामी ने 5 साल की लड़ाई लड़ी. इस लड़ाई से पहले उन्होंने आरटीआई को एक आवेदन भेजा जिसमे उन्होंने 35 रुपये वापस देने की मांग की थी. उस वक़्त आरटीआई ने आवेदन के जवाब में कहा कि आईआरसीटीसी कि, “35 रुपये वापस कर दिए जाएंगे.”

2017 के बाद उन्हें 2 साल बाद यानी की साल 2019 में उन्हें पैसे मिले लेकिन वो भी 2 रुपए कम. स्वामी भी पीछे हटने वालों में से नहीं थे. उन्होंने अगले तीन साल तक दो रुपये वापस लेने की लड़ाई लड़ी. जिसके बाद शुक्रवार को स्वामी ने अपनी ये लड़ाई जीत ली और उन्हें दो रुपये वापस मिल गए. आपको जानकर हैरानी होगी कि भले ही स्वामी को इससे फायदा हुआ लेकिन आईआरसीटीसी का बहुत बड़ा नुकसान हुआ. स्वामी के वजह से रेलवे बोर्ड ने सभी उपयोगकर्ताओं को पैसे दिए जिसके वजह से उन्हें 2.98 लाख का नुकसान हुआ .