नई दिल्लीः 15अगस्त का दिन आज पूरे देश में धूमधाम के साथ मनाया गया है। जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस खास अवसर पर लाल किले से तिंरगे को लहराते हुए राष्ट्र को संबोधित किया। लेकिन इस बार का नजारा लाल किले में कुछ दूसरा ही देखने को मिला। क्योंकि 75 साल बाद पहली बार इस जगह से ब्रिटेन की तोप की जगह स्वदेशी तोप से सलामी दी गई। लाल किला स्वदेसी तोपो के रंगों से रंगा मिला।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा कि आत्मनिर्भर भारत कोई सरकारी कार्यक्रम नहीं, बल्कि जन आंदोलन है जिसे सबको मिलकर आगे बढ़ाना है। प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी के 75 साल में ऐसा पहली बार हो रहा है जब लाल किले से तिरंगे को सलामी देने के लिए देश की बनी तोप का इस्तेमाल किया जा रहा है।

डीआरडीओ द्वारा बनायी गयी स्वदेशी हॉवित्जर गन

आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब लाल किले पर तिरंगा झंडे को जैसे ही फहराया तो, इस दौरान 21 तोपों की सलामी देने के लिए डीआरडीओ द्वारा बनायी गयी स्वदेशी हॉवित्जर गन का इस्तेमाल हुआ। इसे ATAGS (Advanced Towed Artillery Gun System) कहा जाता है।

इस स्वदेशी तोप की गिनती दुनिया की सबसे लंबी दूरी तक मार करने वाली आर्टिलरी गन के रूप में की जाती है। इसकी रेंज 48 किलोमीटर है। यह तोप माइनस 30 डिग्री की ठंड हो, या 50 डिग्री की गर्मी, यह हर कठिन परिस्थिति में काम कर सकती है। चीन से लगी एलएसी से लेकर राजस्थान के रेतीले मैदान तक इस तोप का इस्तेमाल किया जा सकता है।

तोप प्रति मिनट 5 गोले दाग सकती है

डीआरडीओ द्वारा बनायी गई यह तोप एक बार में प्रति मिनट में 5 गोले दागने की क्षमता रखती है। रात में इस तोप का इस्तेमाल करने के लिए इसमें थर्मल इमेजिंग तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। इसके बैरल की लंबाई 8060 मिलीमीटर है. हल्के वजन के चलते यह किसी बी पहाड़ी जगह को लांघ सकती है। यह 155 एमएम कैलिबर तोप है।

स्वतंत्रता दिवस पर सलामी के निए फायर किए जाते हैं ब्लैंक शेल्स

15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर पिछले 75 वर्षों से 15 अगस्त के कार्यक्रम में ब्रिटेन में बनी तोपों का इस्तेमाल होता था। लेकिन इस बार लाल किले से तिरंगे को सलामी देने के लिए देश में बने तोपों से 21 गोले दागने देने का फैसला किया गया।