हर किसी को लग्जरी कार, लजीज खाना, मंहगे घर और चीजों का शौक होता है और सभी लोग इसके लिए ही भागते रहते हैं। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिनको इसमें कोई दिलचस्पी नहीं होती है और ना ही इस तरह से रहने का मन करता है।

हमारे देश में रहने वाले जैन समुदाय के सैकड़ों लोग भी अपनी सुख सुविधाओं को छोड़कर भिक्षु बन जाते हैं। वो दीक्षा लेने के बाद नंगे पैर चलते हैं और भिक्षा में मिले खाने को ही खाते हैं। इसके अलावा आधुनिक तकनीक जैसे एयर कंडीशनर और अन्य इलेक्ट्रोनिक गैजेट्स का उपयोग भी नहीं करते।

करोड़ो की संपत्ति त्याग भिक्षु बनी महिला

हाल ही में एक बिजनेसमैन की 30 साल की पत्नी स्वीटी ने भी दीक्षा ले ली और उनके पति मनीष कर्नाटक में बिजनेसमैन हैं। उनके साथ में उनका 11 साल का बेटा हृदन भी भिक्षु बन गया। दोनों के दीक्षा लेने के बाद उनको नए नाम भी मिल गए और स्वीटी को भावशुधी रेखा श्री जी और बेटे को हितैषी रतनविजय जी नाम दिया गया।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इनके एक रिश्तेदार विवेक ने बताया कि भावशुद्धि रेखा श्री जी जब गर्भवती थीं, तभी से उन्होंने भिक्षु बनने का फैसला लिया था। उन्होंने तब ये ही ये सोच लिया था कि उनका बच्चा उनके ही नक्शे कदम पर चलेगा और उनके जैसे ही जैन भिक्षु बनेगा।

बेटे को भी दिलवाई दीक्षा

उन्होंने अपने बेटे का पालन-पोषण इस समझ के साथ ही किया था कि वो मठवासी वाले जीवन में प्रवेश करेगा। जब भावशुद्धि रेखा श्री जी अपने इस संकल्प के बारे में अपने पति को बताया तो उन्होंने इस फैसले का समर्थन किया। इस बात पर विवेक ने कही कि मनीष और परिवार के अन्य लोग ‘खुश हैं और उनको इस बात पर गर्व हैं।’

मां-बेटे का ये दीक्षा समारोह इस साल 2024 के शुरुआती महीने गुजरात के सूरत में बहुत धूमधाम से किया गया था, और अब ये दोनों सूरत में रहते हैं। इनके इस दीक्षा समारोह का वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इंस्टाग्राम पर काफी तेजी से वायरल हो रहा है।

जैन कपल ने भी ली दीक्षा

आपको बता दें कि इससे पहले गुजरात के एक अमीर जैन कपल ने भिक्षु बनने के लिए अपनी 200 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति त्याग दी थी। भावेश भंडारी और उनकी पत्नी ने भिक्षु का जीवन जीने के लिए साल 2022 के फरवरी महीने में एक औपचारिक समारोह आयोजित किया था। इस कपल का एक बेटा और एक बेटी है।