इस समय भीलवाड़ा डिपो के हाल बहुत खराब चल रहे हैं। वहां पर ना तो पर्याप्त बसें है और न ही स्टॉफ है। इसलिए ही प्रबंधन ने दस रूट पर रोडवेज के संचालन को बंद कर दिया।

इसकी वजह से आम यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बसों व कर्मचारियों की कमी के बारे में मुख्यालय को भी जानकारी हैपत, लेकिन पतली माली हालत के आगे प्रबंधन भी बेबस है।

आपको बता दें कि स्थानीय आगार में कुल 97 रूट हैं, जिनमें बसों का आवागमन होता रहता है। लेकिन इनमें से केवल 87 रूट पर ही बसें चल रही हैं। बसों की कमी होने के कारण दस रूट में बसों का आना-जाना बंद हैं। जिससे यात्रियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

बसों के अलावा चालक-परिचालक की कमी से भी डिपो जूझ रहा है। इस समय 130 चालक और 122 परिचालक ही पदस्थापित हैं, तो वहीं 51 चालक और 25 परिचालकों की कमी है।

ट्रेन के बाद रोडवेज ने भी खींचे अपने हाथ
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मारवाड़ से मेवाड़ को जोडऩे वाले मार्ग पर साधनों की कमी है। भीलवाड़ा से जोधपुर-पाली जाने के लिए न केवल रोडवेज बल्कि रेलगाडिय़ां के संचालन में भी कमी है। पाली मार्ग पर जाने वाली भीलवाड़ा आगार की रोडवेज बसों का आना-जाना बंद है। भीलवाड़ा से जोधपुर जाने वाले यात्रियों के लिए बस इकलौती गाड़ी इंदौर-जोधपुर एक्सप्रेस है। इसलिए प्रतिदिन सैकड़ों यात्री अपने निजी वाहनों से यात्रा करते हैं।

प्रतापगढ़ डिपो ने इस रूट पर काफी समय से पाली के लिए रोडवेज बसें चलाना शुरू कर दिया था, लेकिन भीलवाड़ा डिपो इस मार्ग पर बसों के संचालन को लेकर गंभीर ही नहीं हैँ।

इस रूट पर बसों का संचालन बंद होने से यात्री ब्यावर, अजमेर होकर भीलवाड़ा जाते हैं, जिसमें उनका काफी समय बर्बाद हो जाता है। भीलवाड़ा से करेड़ा, देवगढ़, मारवाड़-जंक्शन, पाली होकर जोधपुर, जैसलमेर, बाड़मेर जाने का यह सबसे छोटा मार्ग है। लेकिन बसों के संचालन बंद किए जाने से यात्री परेशानी का सामना कर रहे हैं। इस पर आगार प्रबंधक हेमराज मीणा ने कहा कि भीलवाडा से पाली होकर जोधपुर शैड्यूल फिलहाल बंद है। इस रूट पर बसों को चालू करने के लिए 15 बसों की डिमांड की गई है।