क्रिकेट इतिहास में कई वाकये ऐसे होते हैं, जिन पर शर्मिंदगी भी महसूस होती है। किसी खिलाडी की मजबूरी को समझने के बजाय आप विकल्प तलाशते हैं। श्रीलंका और बांग्लादेश के बीच खेले गए मैच में भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला। आईसीसी द्वारा नियम तो बनाए गए हैं, लेकिन वे खेल भावना से परे हैं। कई बार विपक्षी टीम ऐसे नियमों का सहारा लेकर बल्लेबाज को आउट कर देती है। नॉन स्ट्राइक पर खड़े बल्लेबाज को क्रीज से बाहर जाने पर बॉलर आउट कर देता है। ऐसे में रोहित शर्मा जैसे कप्तान तो दोबारा से बल्लेबाज को बुला लेते हैं। Mankading करना भी शर्म की बात होती है।

स्पोर्ट्स हमेशा रिश्ते बनाने के लिए

किसी भी खेल को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेला जाता है तो वह खेल भावना और रिश्तों का प्रतीक होता है। ऐसे में विपक्षी टीम को कभी ऐसी मांग नहीं करनी चाहिए, जिससे मन मुटाव हो। Mankading करने वाले गेंदबाज को बहुत बुरी नजर से देखा जाता है। क्रिकेट इतिहास में ऐसा कई बार हुआ जब बल्लेबाज को फिर से खेलने के लिए बुला लिया जाता है। खेल भावना वाले खिलाड़ी हमेशा ही दुनिया का दिल जीतते आए हैं। इंडिया ही नहीं, पूरी दुनिया में गलत खिलाडियों की हंसी उड़ाई जाती है।

क्या है टाइम्ड आउट

एंजेलो मैथ्यूज को लेकर कल पूरे दिन क्रिकेट जगत में चर्चा हो रही थी। श्रीलंका की हार के पीछे सबसे बड़ी वजह भी यही माना जा रहा है। यह खेल भावनाओं के खिलाफ है। बांग्लादेश के शाकिब अल हसन के पास इस फैसले को बदलने का मौका था। टाइम आउट नियम के तहत बल्लेबाज को विकेट गिरने से तीन मिनट में गेंद खेलनी होती है। मैथ्यूज टाइम से क्रीज पर पहुँच गए थे, लेकिन हेलमेट का स्ट्रिप खींचने पर टूट गया। हेलमेट के चक्कर में ही तीन मिनट पूरे हो गए और शाकिब अल हसन ने अंपायर से अपील कर दी। अंपायर ने मैथ्यूज को आउट करार दे दिया। बाद में मैथ्यूज ने स्थिति स्पष्ट भी की थी, लेकिन शाकिब अल हसन ने फैसला लेने से इंकार कर दिया।