राजस्थान में भाजपा और कांग्रेस दोनों ने ही अपना सीएम चेहरा नहीं साफ़ किया है। राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के नेतृत्व में चुनाव लड़े जा रहे हैं। वहीं भाजपा ने अभी तक चेहरा साफ़ नहीं किया है। वसुंधरा राजे सिंधिया के ही चर्चे अभी चल रहे हैं। भाजपा अगर सीएम की रेस से वसुंधरा राजे को हटाती है , तो बगावत का डर भी आलाकमान को रहेगा। अशोक गहलोत और वसुंधरा राजे की सांठ गाँठ भी किसी से नहीं छिपी हुई। वसुंधरा राजे के पास 40 विधायक भी हुए तो वे अपनी सरकार गठबंधन से चला सकती है। वैसे तो भाजपा का भी अभी तक वसुंधरा राजे पर ही भरोसा लग रहा है।

कांग्रेस में सचिन या गहलोत

राजस्थान में कांग्रेस ने एक बार पहले ही सचिन की जगह गहलोत को सीएम बनाकर जनता के विरोध का सामना किया है। सचिन की बगावत भी गहलोत को झेलनी पड़ी। सचिन पायलट की सभाएं भी पूरे जोश के साथ हो रही है। सचिन पायलट ने एकबार दिखा दिया कि राजस्थान में किसके नाम से भीड़ आती है। खड़गे की बैठक में कुर्सियां खाली रह गई थी। उस दिन सचिन पायलट मेजर के पद पर पदोन्नति का एग्जाम देने गए थे। राजस्थान में युवा चेहरा ही कांग्रेस आलाकमान की पसंद होगा।

Rajasthan Election 2023

राजस्थान में शाहपुरा और चोमू जैसी सीटों पर दोनों ही पार्टियों को भीतरघात का खतरा है। शाहपुरा से मनीष यादव के समीकरण एकदम से ही बन गए। भाजपा ने उपेन यादव को प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतार दिया। उपेन यादव बेरोजगारों के हित में अच्छा काम करते हैं। लेकिन शाहपुरा में उन्हें बहुत ही कम लोग जानते हैं। उपेन यादव के कई वीडियो इन दिनों वायरल हो रहे हैं। जहां वे 10 लोगों के नाम भी नहीं बता पा रहे। शाहपुरा से अलोक बेनीवाल वर्तमान में निर्दलीय विधायक हैं। कांग्रेस से मनीष यादव के साथ इस बार सहानुभूति भी है। मनीष यादव पर जनता भरोसा करती है तो भाजपा तीसरे पायदान पर जा सकती है।