आपको पता होगा ही की हमारा देश एक कृषि प्रधान देश है। यहां के अधिकांश लोग कृषि आधारित जीवन यापन करते हैं। किसान लोग खेती के साथ में पशुपालन को भी तरजीह देते हैं। पशुपालन से किसानों को नियमित आय प्राप्त होती रहती है। जिसके कारण वे अपने दैनिक खर्चों को अच्छे से चलाते रहते हैं।
आज के समय में पशुपालन को एक व्यवसाय के रूप में भी लिया जा रहा है। काफी लोग अतिरिक्त आय के लिए पशुपालन कर रहें हैं और अच्छी इनकम कर रहें हैं। अतः यदि आप भी पशुपालन करना चाहते हैं तो यहां हम आपको बकरी की एक ख़ास नस्ल के बारे में बता रहें हैं। जिसको पाल कर आप अच्छा मुनाफ़ा कमा सकते हैं।
बोअर नस्ल की बकरी
आपको जानकारी दे दें की यदि आप बकरी पालन करना चाहते हैं तो आप बोअर नस्ल की बकरी का पालन कर सकते हैं। इस नस्ल की बकरी के लाभ बहुत ज्यादा हैं। इस नस्ल की बकरी को अफ्रिका, ऑस्ट्रेलिया तथा न्यूजीलैंड में सर्वाधिक पाला जाता है। भारत में झारखंड, राजस्थान, बिहार, उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में इस नस्ल की बकरियां आसानी से मिल जाती हैं। इसका वजन करीब 90 से 110 किग्रा तक होता है अतः अधिक मांस के कारण इसकी डिमांड हमेशा बानी रहती है। बोअर नस्ल की बकरी का वजन काफी जल्दी तहा ज्यादा बढ़ता है। यह सभी तरह के पेड़ो की पत्तियों का सेवन भोजन के रूप में करती है।
मिलता है ज्यादा दूध
आपको बता दें की अन्य बकरियों की तुलना में इसकी खुराक काफी ज्यादा होती है। लेकिन फायदे वाली बात यह है की बोअर नस्ल की बकरी आपको प्रतिदिन 4 किलो तक दूध प्रदान कर देती है। अतः ज्यादा दूध के कारण पालक की आमदनी भी ज्यादा बढ़ जाती है। आजकल वैसे भी बकरी का दूध काफी डिमांड में है और यह भैंस तथा गाय के दूध से ज्यादा कीमत पर बिकता है।
बढ़ रही है डिमांड
बोअर नस्ल की बकरियों को ज्यादातर मांस के लिए ही पाला जाता है हालांकि ये काफी मात्रा में पालक को दूध भी प्रदान करती हैं। अगस्त से दिसंबर माह के बीच बोअर नस्ल की बकरियों का प्रजनन होता है। ये बकरियां मध्यम आकार की होती हैं। विदेशों में इस नस्ल की बकरियों की बढ़ती डिमांड के कारण अब भारत के किसान लोगों में भी बोअर नस्ल की बकरियों की डिमांड बढ़ती जा रही है। भारत के महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक और तमिलनाडु राज्य में इस नस्ल की बकरियां काफी पाई जाती हैं।
बोअर नस्ल की बकरी की पहचान
आपको बता दें की इस नस्ल की बकरी का शरीर सफ़ेद तथा गर्दन का हिस्सा भूरा होता है। हालांकि कुछ बकरियां पूर्णतः सफ़ेद या भूरे रंग की भी पाई जाती हैं। इस बकरी के कान कुछ लंबे आकार के होते हैं। यह बकरी अन्य बकरियों की अपेक्षा तेजी से बढ़ती है तथा ज्यादा मांस प्रदान करती है। अन्य नस्ल की बकरियों की अपेक्षा बोअर नस्ल की बकरियों में मातृत्व भावना काफी ज्यादा होती है। खुराक में यह बकरी हरी पत्तियां, मकई, हरि घास आदि को काफी चाव के साथ में खाती है।