नई दिल्ली: काफी लंबे समय से बंद हुई पुरानी पेंशन योजना (Old Pension Scheme) इन दिनों फिर से चर्चा में बनी हुई है। जिसके आने के बाद से लोगों में एक बार फिर से खुशी की लहर दौड़ गई है। चुनाव का दौर जितने नजदीक आ रहा है। उतनी ही तेजी से पार्टियां कई तरह की स्कीम को फिर से शुरू करने जा रही है जिनके बीच आम आदमी पार्टी के साथ कांग्रेस भी हर बार की तरह इस बार भी विधानसभा चुनाव में ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने का वादा कर रही है। राजस्थान और छत्तीसगढ़ सरकार ने तो इस योजना को लागू भी कर दिया है अब आप सरकार पंजाब में इस स्कीम को लागू करने की तैयारी कर रही है। गुजरात चुनावों में भी आप और कांग्रेस दोनों ने पुरानी पेंशन योजना को लागू करने का वादा किया था।

लेकिन केंद्र सरकार इस योजना को लाने से पहले काफी डरी हुई है क्योकि इससे अर्थव्यवस्था के हिल जाने का डर है। केंद्रीय वित्त आयोग के चेयरमैन एनके सिंह ने हाल ही में हुई बैठक में पुरानी पेंशन योजना को देश की अर्थव्यवस्था के लिए अन्यायपूर्ण बताया है। इतना ही नही ओल्ड पेंशन स्कीम को लेकर अधिकारियों ने भी नाराजगी जाहिर की है। नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी ने भी कुछ राज्यों द्वारा पुरानी पेंशन योजना (OPS) को दोबारा शुरू करने पर चिंता जताई थी।

ओल्ड पेंशन स्कीम साल 2004 में हो गई थी बंद

राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) सरकार ने एक अप्रैल, 2004 से ओल्ड पेंशन स्कीम (Old Pension Scheme) को बंद कर दिया था। ओल्ड पेंशन स्कीम के तहत पेंशन की पूरी राशि सरकार देती थी। यह पेंशन रिटायरमेंट के समय कर्मचारी के वेतन पर आधारित होती थी। इस स्कीम के तहत रिटायर्ड कर्मचारी की मौत के बाद उसके परिजनों को भी पेंशन का प्रावधान था। नई पेंशन योजना (New Pension Scheme) के तहत कर्मचारी अपने मूल वेतन का 10 फीसदी हिस्सा पेंशन के लिए देते हैं। जबकि राज्य सरकार इसमें 14 फीसदी का योगदान देती है। अटल बिहारी वाजपेई की सरकार ने अप्रैल 2005 के बाद नियुक्त होने वाले कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन स्कीम को बंद कर दिया था। इसकी जगह नई पेंशन योजना (New pension scheme) लागू की गई थी। इसके बाद राज्यों ने भी नई पेंशन योजना को अपना लिया। इसके बाद से नई पेंशन योजना चल रही है।

नई और पुरानी पेंशन योजना में है बड़ा अंतर

नई और पुरानी पेंशन योजना में कई बड़े अंतर हैं। जैसे पुरानी पेशन स्कीम में रिटायरमेंट के बाद कर्मचारी को आधी राशि पेंशन के रूप में दी जाती है। जबकि नई पेंशन स्कीम में कर्मचारी की बेसिक सैलरी+डीए का 10 फीसद हिस्सा कटता है। पुरानी पेंशन स्कीम में पेंशन के लिए कर्मचारी के वेतन से कोई पैसा नहीं काटा जाता है। वहीं नई पेंशन स्कीम में छह महीने बाद मिलने वाले DA का प्रावधान नहीं है। पुरानी पेंशन स्कीम में भुगतान सरकार की ट्रेजरी के माध्यम से होता है। वहीं नई योजना में रिटायरमेंट के बाद निश्चित पेंशन की गारंटी नहीं होती। पुरानी स्कीम में रिटायर्ड कर्मचारी की मृत्यु होने पर उसके परिजनों को पेंशन की राशि मिलती है।

घातक साबित हो सकती है योजना

एक रिपोर्ट के मुताबिक, यदि पुरानी पेंशन योजना लागू होती है तो आने वाले समय में इकनॉमी के लिए घातक साबित हो सकती है। पहले से ही कर्ज में डूबे राज्यों के लिए यह योजना नई मुसीबत ला सकती है। इससे आगामी सरकारों पर बड़ा वित्तीय बोझ पड़ेगा।