आपको बता दें कि इस वर्ष 28 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा है। लेकिन इस बार शरद पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण भी पड़ रहा है। जानकारी दे दें कि रात में 1 बजकर 6 मिनट पर चंद्र ग्रहण लगेगा।

जो की 2 बजकर 22 मिनट पर ख़त्म होगा। इस अवसर पर सूतक काल 9 घंटे पहले शुरू हो जायेगा। सूतक काल में भोजन पकाना या खाना वर्जित माना जाता है। अब ऐसे में सवाल यह उठता है कि आप खुले आसमान के नीचे खीर कब रख सकेंगे। इसी सवाल का जवाब हम आपको यहां बता रहें हैं।

इस समय न रखें खीर

आपको हमने बताया कि 28 अक्टूबर को चंद्र ग्रहण है और इसका सूतक काल दोपहर दिन से ही शुरू हो जाएगा। अतः यदि आप इस दिन खीर बनाते हैं तो वह अशुद्ध हो जायेगी। यदि आप सूतक काल से पहले ही खीर को बना लेते हैं तो वह ग्रहण काल में अशुद्ध हो जायेगी। आप इस खीर को ग्रहण काल के बाद चंद्रमा के प्रकाश में रखकर नहीं खा सकते हैं। ऐसी खीर आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकती है।

यह है खीर रखने का सही समय

आप चतुर्दशी की रात यानि 27 अक्टूबर शुक्रवार को ही खीर बना लें और 28 अक्टूबर को प्रातः 04:17 बजे से उस खीर को चंद्रमा के प्रकाश में रख दें। इस दिन दिल्ली के समय अनुसार चंद्र अस्त प्रातः 04:42 को होगा। चंद्र अस्त के बाद आप उस खीर को खा सकते हैं।

28 अक्टूबर को प्रातः पूर्णिमा तिथि में औषधियुक्त प्रकाश आपको प्राप्त हो जाएगा। इसका एक दूसरा विकल्प यह है कि आप 28 अक्टूबर की रात्रि में चंद्र ग्रहण के बाद में खीर बनाएं और उसको खुले आसमान के नीचे रख दें। बाद में आप इस खीर का सेवन कर सकते हैं।

शरद पूर्णिमा पर खीर का महत्व

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है। इसी कारण उसकी किरणों में अमृत सामान गुण होते हैं। जब हम खुले आसमान में इस रात को खीर को चंद्रमा की रौशनी में रखते हैं तो उसमें चंद्रमा का प्रकाश पड़ता है और वह खीर भी औषधीय हो जाती है। इस खीर का सेवन करने से आपके स्वास्थ्य में सुधार तो होता ही है साथ ही आपका चंद्रदोष भी दूर होता है।