नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी देश के सबसे महान खिलाड़ियो में एक माने जाते है। जिन्होने खेल के मैंदान में  आते ही धमाल मचा दिया था। उनके चौके छक्के की बरसात के सामने दूसरे देश के खिलाड़ी भी लोहा मान जाते थे। धोनी ही ऐसे एकमात्र खिलाड़ी रहे है जो भारत के लिए सबसे ज़्यादा आईसीसी ट्रॉफी जीतने वाले कप्तान बने हैं।

क्रिकेट में उनका करियर 15 साल का रहा है। लेकिन उन्होने भारतीय टीम में अपनी जगह किस तरह से हासिल की इसका खुलासा पूर्व भारतीय सिलेक्टर सैयद सबा करीम ने किया। पूर्व सिलेक्टर सबा करीम ने कॉमेंट्री बॉक्स में ‘जियो सिनेमा’ पर इस बात का खुलासा किया था कि बिहार में रणजी के खेलने वाले धोनी से वो किस तरह से मिले।

पूर्व सिलेक्टर ने बताया, “जब धोनी बिहार के लिए रणजी खेला करते थे, तब उनकी बैटिंग काफी शानदार ही होती थी। उसके पास वह शानदार प्रतिभा थी जो आज तक किसी अन्य खिलाड़ी में नही पाई गई। जिसके चलते वो तेज गेंदबाज के साथ विकेटकीपिंग में भी शानदार प्रदर्शन करते दिखे।

इसके बाद उन्हें भारतीय टीम में शामिल करने से पहले काफी कुछ सिखाया भी गया था। यह एमएस के करियर में आगे बढ़ने का एक अहम मोड़ था जहां वह सीखकर आगे बढ़ रहे थे। इसके बाद उनकी शुरूआत वनडे से हुई, और अपनी मजबूत बल्लेबाजी से तेजी से रन बनाते हुए उन्होने सभी का दिल जीत लिया। ”

सबा करीम ने आगे बताया कि उनका दूसरा टर्निंग प्वाइंट वो था जब उन्हें इंडिया-ए टूर के बाद नेशनल टीम के लिए चयन किया। “भारत ‘ए’, पाकिस्तान ‘ए’ और केन्या के बीच की ट्राई सीरीज़ थी। धोनी को यह मैच इसलिए खेलने को मिला क्योंकि इसमें दिनेश कार्तिक नेशनल टीम के साथ जुड़ रहे थे. जहां धोनी ने अच्छी विकेटकीपिंग के साथ शानदार बल्लेबाज़ी करते हुए पाकिस्तान ए के खिलाफ दो बार खेलकर अपनी पकड़ मजबूत कर ली।”

 

पूर्व भारतीय सिलेक्टर ने बताया, “यहां से उनके करियर की नई शुरूआत हुई जो उनका टर्निंग प्वाइंट था और इसके बाद उनका नाम चर्चा में आने लगा। लेकिन उस समय के कप्तान रहे सौरव गांगुली ने एमएस को खेलते हुए नहीं देखा था इसलिए उन्हें कोलकत्ता के दौरे के लिए नहीं चुना गया था।”